यूनानी सिद्ध योग संग्रह | Yunani Siddha Yoga Sangrah PDF in Hindi
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यूनानी सिद्ध योग संग्रह | Yunani Siddha Yoga Sangrah PDF in Hindi

यूनानी सिद्ध योग संग्रह | Yunani Siddha Yoga Sangrah Book PDF in Hindi Free Download

यूनानी सिद्ध योग संग्रह | Yunani Siddha Yoga Sangrah PDF in Hindi
लेखक / Writerवैद्यराज बाबू दलजीत सिंह / Vaidyaraj Babu Daljeet Singh
पुस्तक का नाम / Name of Bookयूनानी सिद्ध योग संग्रह / Yunani Siddha Yoga Sangrah
पुस्तक की भाषा / Book of Languageहिंदी / Hindi
पुस्तक का साइज़ / Book Size11.47 MB
कुल पृष्ठ / Total Pages256
श्रेणी / Category स्वास्थ्य / Health , योग / Yoga
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यूनानी सिद्ध योग संग्रह पुस्तक का एक मशीनी अंश

१- कुस काफूर लुछ॒वी

द्रव्य और निर्माणवि।

अनविध मोती, चंशछोचन, कठीरा, गेहूँका सत ( निशास्ता )–प्रत्येक €
माशा, गुलाबका फूल, सफेद चन्दन, निकोफरका फूल, सूखी धनियाँ, रक्तचन्दन,
‘छिले हुए खुरफेके बीज, तरवृजके बीजकी गिरी, सीठे कह के बीजकी गिरी–
प्रत्येक एक तोला डेढ़ माद्य ओर काफूर केसूरी ( कपूर॒का एक भेद ) २। सादा ।
इनको कूट-छानकर इसबगोलके छबाबमें घोटकर चक्रिकाएँ बनायें ।

मात्रा ओर अनुपान–४ माशेकी सात्नामें उपयुक्त अनुपानसे सेवन करें ।

गुण और उपयोग—तीत् ज्वर, राजयच््सा ओर उरःक्षत एवं इनसे होने-
चाले अतिसारमें उपयोगी है ।

२–कछुसे तबाशीर मुलख्यिन

द्रव्य आर निमाणाविधि —

वचशलछोचन श्वेत ( वबाणीर सफेद ) १ तोला २ माशा, खुरासानी तरजबीन
( खुरासानी यवासशणर्करा ) १०॥ साशा, गेहूँंका सत ( निशास्ता ), मीठे कद के
बीजकी गिरी, खीरा ओर ककडीके बीजकी गिरी, बबूछका गोंद ( ससग झरवी )
कतीरा, पोस्तेका दाना–प्रत्येक ३॥ मसाशा। इनको छूट-छानकर इसबगोलके
लबावर्म टिक्तिया बना ले ।

सात्रा ओर अनुपान–७ माशा यह ओपध खाकर ऊपरसे ६ साशा गाव- जवानका अर्क ( अर्क गावजबान ) पी लेवे।

गुण और डउपयोग–राजयक्ष्मा, उर-क्षत, मिआदी छुखार ( तपे मुहरिका ),
शुष्क कास ओर सीनेकी कर्कशताके लिये परमोपयोगी है, झदुसारक ओर सताप-
हारक भी है एवं तृपाको भी शमन करता है ।


३–छुसे तबाशीर काफूरी लूल॒वी

द्रव्य और निर्माणावीधि—
अनबिध सोती, सफेद वशलोचन, अन्तर्धुम जलाया हुआ मीठे पानीका केंकड़ा,
काहुका बीज, सफेद पोल्तेका दाना ( तुखूम खशखाज् सफेद ), कुछफेका छिला
हुआ बीज ओर कतीरा–प्रत्येक १ तोछा १॥ साशा, कहरुबा शसई, सत मुलेठी,
गुलाबकी कली–प्रत्येक ६ साशा, खीरा-ककड़ीके बीजकी गिरी १ तोला, बबूछ
का गोंद ओर अन्तधूंम जाया हुआ प्रवालमूल ( बुस्सद )–प्रत्येक श॥ साणा,
कैसूरी कपूर (काफूर केसूरी) श॥ माशा, केशर ओर केचीसे कतरा हुआ अवरेशस–

प्रत्येक ७॥ रत्ती । इनको कूट-छानकर हरे बारतगके स्वरससे टिकिया बना सुखाकर
रख ले।

सात्रा ओर अनुपान—३ साशा उपयुक्त अनुपानसे सेवन करें ।

गुण तथा उपयोग–यह योग राजयक्ष्मा, उर-क्षत, क्षयज अतिसार, यह-ज्जन्य अतिसार, रक्तातिसार ओर रक्तडीवन इत्यादि विकारॉमें बहुघा प्रयोग किया
जांता है। उच्त रोगोंमें छाभकारी सिद्ध हुआ है। अतिसारमें विशेष राभकारी है ।

४–कुइता हड़ताल

द्रव्य और निर्माणावाधि–

धतूरके बीज, अफसतीन-प्रत्येक एक छटोंक । इनका कूटकर एक सेर जलूमें
सिगो रखें । फिर सरू-छानकर स्वरसमें एक सेर सफेद हडताल पीसकर डाल दे।

जब स्वरस सूख जाय, तब हड़तारू पीसकर अछरूग रख के । इसके पश्चात्‌ उसे
गुरुतवके रसमें टिकिया बनाकर भ्रूसछ ( गरम राख ) की आंचमें भून ले ।

सात्रा ओर अनुपान – १ रत्ती भस्स अर्क गावजबानके साथ सेवन करे ।

गुण तथा उपयोग—सूजन ओर वातज बेदनामें गुणकारी है ।

विशेष उपयोग—कफज्वर ओर मलेरिया (विषम ज्वर ) के लिये रासबाण
आओपध है ।

४–जवाहरमोहरा अंबरी


द्रव्य आर निर्माणावीधे-
न अनबिध सोती, साणिक ( याकूत ), घुखराज, पन्ना, जहरमोहरा खताई,

» भवालमूल (बुस्खद), वंशलोचन, कहस्वा, सोनेका वरक, चाँदीका चरक—..
प्रत्येक ६ साशा , अबर ४ सादा, कस्तूरी, शिलाजीत ( सोसियाई )-प्रत्येक ३

साशा; दरियाई नारियल ओर जदवार (निविषी)-प्रत्येक १॥ माशा; अर्क केवढ़ा,
अर्क गरुलाव ( गुलाब ), अर्क वेदसुग्क-प्रत्येक ४ तोछा । प्रथम अंबर ओर क्तूरी
को छोडकर शेप समस्त द्रव्योंको अलग-अलग खरल करके मिला लें। पीछे अबर
ओर कस्त्री मिलाकर खरल करके एक-एक रत्तीकी गोलियाँ बना लें ।

मात्रा ओर अनुपान–आधीसे १ गोछी अर्क वेदसुश्क, अर्क केवड़ा ओर
अर्क गुलावर्म हल करके पिलायें ।

गुण तथा डपयोग–छदय, मस्तिष्क, ओज ( रूह ) ओर दृष्टिको शक्ति
प्रदान करता है तथा विपोंका अगद है, दिलकी धड़कन, दुख ओर चिता, जर्श,
उन्माद, मरक ज्वर, मसूरिका, रोमान्तिका ओर गर्भाशयके रोगोंमें छाभकारी
है। थह गर्भकी रक्षा करता ओर तारुण्य शक्तियोंकों स्थिर रखता है ।

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