यंत्र शक्ति PDF | Yantra Shakti PDF in Hindi
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यंत्र शक्ति PDF – Yantra Shakti Book PDF Free Download

पुस्तक का नाम / Name of Book | यंत्र शक्ति PDF / Yantra Shakti PDF |
लेखक / Writer | डॉ रुद्रदेव त्रिपाठी / Dr Rudradev Tripathi |
पुस्तक की भाषा / Book by Language | हिंदी / Hindi |
पुस्तक का साइज़ / Book by Size | 88.2 MB |
कुल पृष्ठ / Total Pages | 178 |
पीडीऍफ़ श्रेणी / PDF Category | धार्मिक / Religious |
क्रेडिट / Source | archive.org |
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Yantra Shakti in Hindi PDF Free Download Link
यंत्र शक्ति तंत्र का एक मशीनी अंश
क्योकि मानव-जीवन जितना विशाल है उससे कहीं अधिक उस की आकाक्ताएं हैँ । पद-पद पर कोन कोई कठिनाई् अपना बेसुरा राग आलापती खडी रहती है । ओौर प्रायः यह् स्थिति बनती ही रहती है कि-जो सोचते हँ वह दूर चला जाताह ओौर जो कभी सोचा ही नहीं दहै, वह पास चला आताद है। एेसी ही स्थितिका उल्लेख भगवान् राम ने करते हुए कहा था–
यच्चिन्तितं तदिह दूरतरं प्रयाति,
यच्चेतसाऽपि न कृतं तदिहाम्युपति ।
प्रातभेवानमि वसुधाधिप-चक्रवर्ती
सोऽहं ब्रजामि विपिने जटिलस्तपस्वी ॥
“जो सोचा धा वह दूर- बहुत दूर चला गया। जो मनमेंभी नहीं आया था वह पास आ रहाद है। सोचा था कि मे प्रातः हो ति ही एक बहुत बडा प्रथ्वी पति-चक्रवर्ती चन जाऊ्गा
वही रमै जटा धारणः कर त॒पस्वीके रूपमे वनमेजा रर्हारहु।’
यह् स्थिति मानव-जीवन में बहुधा जाती ही रहती है मतः कहा जाता है कि मानव की “अपेक्षा गौर आकांक्षा” मनन्त-व्यापिनी ह। मानव की लोभवृत्ति के कारण जितनी आवश्यकता या अपेक्षाः होती है, वह वहीं तक इच्छाओं-आकाक्षाओं को सीमित नहीं रख पाता है \
वह् ” तो भविष्य की ओर कता हृ भूत की नींव पर वतमान के महल खड़े करता है । इसका फल भी उसे महत्वाकांक्षी बनाता रहता है । महतत्वाकांक्ना कोई दगुण नहीं है जरन कोई असम्भव को सम्भव बनाने की वस्तु है । केवल इसकी पूति के लिए किए जाने वाले प्रयासों का पन्थ सत् होना चाहिए ।
आज के युगम सन्मागं पर चलकर आकांक्षाओं की पूति का प्रयास करना किसी को रुचि- कर नहीं प्रतीत होता अथवा यों किए किं सन्मागे पर चलने से आकांक्षाओं की पूति होगी” इस पर कोई विशवास ही नहीं करता है। यही कारण दहैकि लोग कूमागे पर प्रवृत्त हो जाते हैँ, ओौर अपने पवसंस्कारों के कारण कुचं सफलता पा लेने पर उसी मागे को अपना वास्तविक मागं मान बैठते रह जो कथमपि रीक नहीं है।
फेसे असत् माम से वचाकर सन्मागे परनले जाने काकायं शास्त्रों का है, साधु-सन्तों का है, महापुरुषों का है तथा सद्गुरु ओर सदा- चारी पुरुषों का है । एेसे महापुरुष अपेक्षा ओर आकांक्षा कौ पूति के लिए अनेक उपायों का निदा करते हैँ जिनमे मन्त्र-तन््र-यन्त्र भी महत्त्वपूणं हँ । जीवन कौ यान्त्रिकता मे, स्वल्पससय सें ही बहुत पा लेने के लिए “यन्त्र’ बहुत उपयोगी हैँ । यन्त्र के हारा सच्चित ऊर्जा का प्रयोग यथासमय किया जा सकतादहे।
अतः यन्तो का संग्रह्, उनके प्रयोग-विधान तथा तत्साधन-सम्बन्धी एक निर्चित पद्धति के रूप मे यह ‘यत्त्र्क्िति’ अवद्य ही पाठकों की अपेक्षा ओर आकांक्षाओं को पूति मेँ पूणैह्पेण सहायक होगी, एेसा विश्वास है । “यन्त्रशक्ति’ से पूवं हमने सन्त्रशञक्ति’ ओर (तन्त्रशशक्ति’ नामक दो पुस्तकों कौ रचना करके प्रकाशित कियाहै। उनका स्वेत्र समादर ही प्रस्तुत ग्रन्थकीप्रेरणाका खोत है। इसमे हमने अपनी लेखन-पद्धति को भी पहले की तरह ही स्वीकृत करते हुए उसमे यथावश्यक परिष्कार लाने का प्रयत्न किया है । |
यन्त्र-साहित्य अतिविशाल दहै इसमे अनेक गहन तत्त्वो का भी समावेश है । “जिन खोजा तिन पाइया गहरे पानी पठ इस उक्ति के अनुसार हमारे पूवंमहषियों ने अत्यन्त परिश्रम ओौरतप करके इस विद्या के रहस्य को प्राप्त कियाथा किन्तु परोपकाराय सतां विभूतयः के अनुसार प्राणिमाच्र के कल्याण कौ कामना करते दए उन्होने रास््रो मे एेसे रहस्योकाभी उद्घाटन कर दिया हे। उसीमेसे कु प्रसादी गुरु करे पासे प्राप्त होने पर उसे हम यहाँ प्रकारित कर रहे हं ।
हमारी मान्यतादहिकि ये यन्त्र आज के व्यस्त जीवन मे अनेक समस्याओं से धिरे हुए मानव के लिए एक उत्तम सहायकं बनकर उसको कठिनाइयों को दुर करगे तथा उसकी अपेक्षा ओर आकांक्षा की पूति मे सफल सिद्ध होगे !` हमने अन्यत्र लिखा भी दहे कि–
नानाप्पेक्षा नराणां भ्रतिपदमुदिताः समस्भवन्त्यनत्र लोके,
किञ्चाकाङ्क्षा अनेका अपि च विदधति प्रत्यहं स्वं ्रसारम् ।
तासामत्राथेसिद्धय परमयुकरुणावद्विभरा्येमुनीन््-
नके मार्गाः प्रदिष्टा इह तदनुगतो यन्त्रमार्गो विधेयः ॥
अर्थात् इस लोक मे मनुष्यों की अनेक प्रकार कौ आकांक्षा उत्पन्न होती हैँ आर अनेक अपेक्षाएं भी प्रतिदिन अपना प्रसार करती रहती हँ । उन सव की सिद्धि के लिए यहाँ परमकृपालु आयं ऋषि-महर्षियों ने अनेक मागं दिखलाणं है, उनमें से यन्त्रमाग’ भी एकर है जिसका आश्रय लेना चाहिए
Note – यंत्र शक्ति का एक मशीनी अंश इसमें त्रुटियाँ हो सकती है
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