वृहद् हस्तरेखा शास्त्र PDF : नारायणदत्त श्रीमाली द्वारा मुफ्त हिंदी पीडीऍफ़ पुस्तक | Vrihud Hastrekha Shastra PDF : by Narayan Dutt Shrimali Free Hindi PDF Book

वृहद् हस्तरेखा शास्त्र PDF | Vrihud Hastrekha Shastra In Hindi PDF Book Free Download
वृहद् हस्तरेखा शास्त्र PDF | Vrihud Hastrekha Shastra PDF in Hindi PDF डाउनलोड लिंक लेख में उपलब्ध है, download PDF of वृहद् हस्तरेखा शास्त्र
पुस्तक का नाम / Name of Book | वृहद् हस्तरेखा शास्त्र PDF / Vrihud Hastrekha Shastra PDF |
लेखक / Writer | नारायणदत्त श्रीमाली / Narayan Dutt Shrimali |
पुस्तक की भाषा / Book by Language | हिंदी / Hindi |
पुस्तक का साइज़ / Book by Size | 9.44 MB |
कुल पृष्ठ / Total Pages | 330 |
पीडीऍफ़ श्रेणी / PDF Category | ज्योतिष / Astrology |
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वृहद् हस्तरेखा शास्त्र PDF | Vrihud Hastrekha Shastra PDF in Hindi
वृहद् हस्तरेखा शास्त्र PDF पुस्तक का एक मशीनी अंश
परमात्मा ने मानव-जीवन की और विशेषकर मनुष्य की संरचता कुछ इस प्रकार से की है कि आज तक संसार के सारे वैज्ञानिक इस जटिल प्रक्रिया को सुल- झाने का जी-तोड़ प्रयत्न करने पर भी अपने उद्देश्यों में सफल नहीं हो पा रहे हैं । दे जितना ही ज्यादा इस प्रक्रिया को समभने का यत्न करते हैं, उतने ही ज्यादा उल- भते चले जा रहे हैं। इस बिश्व में जितना भी ज्ञान और विज्ञान है उन सभी का ध्येय मानव और मानव के व्यवहार को समभना एवं उसे सुख पहुंचाना है, परन्तु यह सुख उसे तभी मिल सकता है जबकि वह मनुष्य के उन गोपन रहस्यों को पहले से ही जान ले, जोकि भ्चानक अनिदचय के रूप में प्रकट होकर उसके सारे किये-कराये पर पानी फेर देता हैं। यहू “भविष्य” एक ऐसा शब्द है जो भ्रपनेआप में अत्यन्त मोप- नीय, जरूरत से ज्यादा जटिल तथा दुर्बोष है। विज्ञान के समस्त प्रकार इस भविष्य में होने वाली घटनाओं को समझने और सुलभाने का प्रयत्न कर रहे हैं परन्तु अभी तक वे अपने उहेश्य में पूर्णतया सफल नहीं हो सके हैं। यदि इस “रहस्थ” पर कोई रोशनी डाल सकता है या उसे समभने में सहायक हो सकता है तो वह केवल 'सामुद्रिक-शास्त्र' है, इसे सभी विद्वानों ने एक स्वर से स्वीकार किया है । मनुष्य सदा से भविष्य को जानने के लिए प्रयत्नशील रहा है। उसके दिमाग में अज्ञात मविष्य के प्रति बराबर आशंका बनी रहती है। वह यह सोचता है कि मैं जो वर्तमान में कार्य कर रहा हूं, और जिस पर अपने सारे जीवन का श्रम, बुद्धि और धन लगा रहा हूं, कहीं ऐसा न हो जाए कि भविष्य में मैं अपने प्रयत्नों में सफल न हो सकूं मौर ऐसा सोच-सोचकर वहू एक अज्ञात झ्ााशंका से डरा-डरा सा रहुता है । कभी-कभी ईश्वर पर भार्वयें और इसके ठीक बाद उसकी महानता के सामने मेरा सिर श्रद्धा से झुंक जाता है कि वह कितना कुझ्लल कारीगर है जिसमे भविष्य की सैकड़ों, लाखों घटनाओं को टेडी-मेढ़ी लकीरों के माध्यम से मनुष्य के हाथों में अंकित कर दिया है, भौर श्रद्धा हीती है उन ऋषियों पर जिन्होंने अपनी तपस्या और दिव्य दृष्टि के माध्यम से इन रेखाओं के रहस्य को समझा है, और आने वाली पीढ़ियों के लिए इस ज्ञान को सुलभ किया है । हाथ का अध्ययन करने के लिए कई तथ्य ध्यान में रहने आवच््यक हैं । सबसे पहली बात तो यह है कि किसी भी व्यक्ति के हाथ की केवल एक रेला देखकर ही उस पर अपना विचार दृढ़ नहीं बना देना चाहिए । क्योंकि केवल एक रेखा ही उससे सम्बन्धित तथ्य को स्पष्ट नहीं कर सकती, अपितु उसकी सहायक रेखाएं भी उस तथ्य को स्पष्ट करने में सहायक होती हैं। जिस प्रकार रेल के एक इंजन में सेकड़ों छोटे-मोटे-कल-पुर्ज होते हैं और उन सभी कल-पुर्जों का अपने-अपने स्थान पर महत्व है । यदि उन पुर्जों में से एक भी पुर्जा रूक जाए तो एक प्रकार से पूरा इंजन ही रुक जाएगा, ठीक यही स्थिति हाथ में रेखाओं की है । यदि इन रेखाओं को देखने के साथ- साथ उनकी सहायक रेखाएं मली प्रकार से न देखें या उन सहायक रेखाशों का महत्व ने सममें तो परिणाम में मयंकर गलती होने की संभावना हो जाती है। अतः एक कुशल हस्तरेखा विशेषज्ञ को चाहिए कि वह हथेली पर पाई जाने वाली प्रत्येक रेखा को अपनी आंख से प्रोफल न होने दे, अपितु छोटी से छोटी रेखा को उतना ही महत्व दे जितना कि बड़ी और प्रमुख रेखा का महत्व होता है ।
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