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सामुद्रिक शास्त्र PDF : ज्योतिषाचार्य भृगुराज द्वारा मुफ्त हिंदी पीडीऍफ़ पुस्तक | Samudirk Shastra PDF : by Jyotishacharya Bhraguraj Free Hindi PDF Book

सामुद्रिक शास्त्र PDF : ज्योतिषाचार्य भृगुराज द्वारा मुफ्त हिंदी पीडीऍफ़ पुस्तक | Samudirk Shastra PDF : by Jyotishacharya Bhraguraj Free Hindi PDF Book

सामुद्रिक शास्त्र PDF | Samudirk Shastra In Hindi PDF Book Free Download

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पुस्तक का नाम / Name of Bookसामुद्रिक शास्त्र PDF / Samudirk Shastra PDF
लेखक / Writerज्योतिषाचार्य भृगुराज / Jyotishacharya Bhraguraj
पुस्तक की भाषा /  Book by Languageहिंदी / Hindi
पुस्तक का साइज़ / Book by Size7.57 MB
कुल पृष्ठ / Total Pages328
पीडीऍफ़ श्रेणी / PDF Categoryज्योतिष / Astrology
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पुस्तक स्रोत

सामुद्रिक शास्त्र PDF | Samudirk Shastra PDF in Hindi

सामुद्रिक शास्त्र PDF पुस्तक का एक मशीनी अंश

ज्योतिष के क्षेत्र में भारत संसार के समस्त देशों से सदा आगे रहा है | आज, यद्यपि अन्य क्षोत्रों में भारत की गणना संसार के पिछड़े देशों में हे।ती है, किन्तु ज्योतिष के मामले में वह पिछले सेकड़ों वर्षों से संसार के समस्त देशों का नेतृत्व फरता चला आ रहए है | यह नगस्य सत्य है कि संसार के समस्त देशों का ज्योतिप ज्ञान भारत के ज्योतिष शान के सम्मुख कोई अस्तित्व नहीं रखता । इसके साथ ही साथ यह हमारा दुभ्भाग्य दे कि हमारे देश में इस विद्या की धीरे २ अवनति हे। रही हे । अवनति के दो मूल कारण हैं। पहला कारण तो यह है में ऐसा कोई विद्यालर्यानहीं जहाँ इसकी दीक्षा का समु-चित प्रबन्ध हे।

किसी भी विद्या का उत्थान जब तक्र सम्भव नहीं जबतक शासन उसके प्रसार और खोजका पूर्णसाधन उपलब्धमं करता। देश के पाख्य-क्रम में इसका कोई महत्व नहीं अतः जिज्ञास व्यक्ति भी इंसके ज्ञान प्राप्ति के साधनों से वंचित रह जाते हैँ । उनका ज्ञान अधूरा रह जाता है और खड़ला-घद्ध न देने के कारण उसके शान का फोई मसहस्व ही नहीं रहता | शासन की उपेक्षा जो सदियों से इस विद्या विशेष के साथ चल्लौ था र्द्दी है, इसके पठन का मुख्य कारण हो गई है ।

दूसरा कारण है जनता की इस दिखा के प्रति उपेक्षा। लाधारण ऊजन-समुदाय इसको केबल जनन्‍्मपत्री बनाने वाले ररिडतों तथा शनिवार के दिन तेल माँगने बाले भड़ारी की विद्या ही समभठा है। यह सच भी हैं कि इस दोनों श्रेशी के लोगों ने अपने कुद्र शान हारा ऊमदा के आहत भी अनेयो किये हैं । होगो झा इस पर कोई विश्वास रह नहीं गया है ।

प्राची विद्या समझकर इसका आदर तो, करते हैं और सदा इस खोज में रहते हैं कि इस विद्या फे समुचित णानफार से उत्तका साशाताफार है। सके। भूत और भविष्य फ्री गणना फरफे फल्लादेश को कद्दया धपना विशेष सहत्व रखता है । निराद्षर भट्टाचार्य जिनके हाथों इस विद्या फा प्रसार है और जो इसे अपनी जीविका फा साधन बनाये हैं यह जनता के संम्मुख ऐसा उदाहरण प्रस्तुत फरने में सर्वदा असमर्थ ही रहते हैं फि जिनके हारा पद जन-साधारण की भद्धा और इस विद्या फे प्रति बन्तका आपएर प्ाप्त कर सके।

भारत आज पअगरति के पथ पर हांप्रसर हे रहा है। हातः यह हमारा कर्तव्य है। गया है कि हस सय मिलकर इस धो मर में भी उचित सुपार करें! । इस दो का सुधार जब ही दे सकता हि जब कि इस विया का प्रसार उचित रीति से है।। अत्तः प्रसार के उत्तरदायित्व फो लेते ही हमारा फर्तध्य हो जाता है फि दस इस घिया की आद्टगा पद्ध करके, उचित तको फे साथ ही जनता के सम्मुख प्रस्तुत फरे’ ।

ध्योतिष बहुत गहन विपय दै । इसझा ज्षेय यहुत विस्तीर्ण है और यह सम्मध नहीं कि सागर को गागर में मरा था सके । जात! इसके विभिन्न चेनों फी प्रथा करफे ही उनका शधान, किया जा सकता है । प्रस्तुत पुस्तक में हमने रेखा विज्ञान का विश्लेषण किया है ।

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