रेकी विद्या PDF | Reiki Vidya PDF
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रेकी विद्या PDF – Reiki Vidya Book PDF Free Download

पुस्तक का नाम / Name of Book | रेकी विद्या PDF / Recki Vidya PDF |
लेखक / Writer | मनम नाथ / Manam Nath |
पुस्तक की भाषा / Book by Language | हिंदी / Hindi |
पुस्तक का साइज़ / Book by Size | 8.1 MB |
कुल पृष्ठ / Total Pages | 224 |
पीडीऍफ़ श्रेणी / PDF Category | Health |
क्रेडिट / Source | archive.org |
पुस्तक का एक मशीनी अंश
विश्व की महत्त्वपूर्ण चिकित्सा पद्धतियों में से एक रेकी चिकित्सा पद्धति आज चिकित्सा के क्षेत्र में अपना अहम स्थान रखती है। यह ध्यानावस्था की चिकित्सा है। इसके द्वारा रोगी को भिन्न-भिन्न स्थितियों में ध्यानावस्थित कर बड़े-बड़े असाध्य रोगों को ठीक किया जा सकता है।
‘रेको’ शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है– रे (हाय) तथा ‘कौ’ (त्)। ‘रे’ शब्द का अर्थ है ‘सार्वभौम ‘ ब्रह्मांड और ‘की’ शब्द का अर्थ है ‘ऊर्जा’। ‘रिकी ‘-अर्थात् ब्रह्मांड ऊर्जा । ब्रह्मांड ऊर्जा–रेकी को ऐसी शक्ति के रूप में परिभाषित किया गया है जो सभी यदार्थों में विद्यमान होकर सक्रिय रहती है। रेकी मात्र सरल या प्राकृतिक चिकित्सा ही नहीं है अपितु यह सार्बभौमिक जीवन ऊर्जा को अंतरित करने का सर्वाधिक प्रभावशाली तरीका भी है।
इस पुस्तक में रेकी क्या है, रेकी का इतिहास क्या है, श्वास-नि:श्वास की तकनीक, प्रत्यक्ष ध्यानावस्था : सफेद प्रकाश का ध्यान लगाना, रेकी के पाँच नियम, रेकी एलायंस, आत्प–उपचार तकनीक : हाथ की स्थितियाँ, रेकी में क्या करें, क्या न करें, ‘5७! की साधना, सामूहिक उपचार, किन स्थितियों में रेकी नहीं देनी चाहिए, प्रकाश भेजकर उपचार, रैकी के विभिन्न पहलू, ऊर्जा संचारक क्रिया जैसे अध्याय इस संबंध में हमें विपुल जानकारियाँ देते हैं। साथ ही पुस्तक में दिए गए ढेरों चित्र विषय को समझने में हमारी भरपूर मदद भी करते हैं
अब हम साँस लेने की तकनीक सीखेंगे। साँस लेने का व्यायाम करने से आपकी चिंतन शक्ति किसी निश्चित बिंदु पर केंद्रित होती है तथा आपका मन इधर-उधर नहीं भटकता | इसके साथ-साथ इससे एलर्जी, दमा, आधे पर का दर्द, हृदय, फेफडे, पेट, जिगर आदि से संबंधित अनेक रोगों का भी इलाज किया जा सकता ह ।
क्रिया [चार तक गिनती करते हुए आप नाक से नाभि तक गहरी साँस ले । जितना संभव हो, अपना पेट फुलाएँ | फिर १…2…3…4 गिनते हुए रुक जाए। क्रिया 4 तक गिनती करते हुए श्वास रोके ।…॥…2…3…4. क्रिया पर अब धीरे-धीरे 4 तक गिनते हुए मुँह के रास्ते से साँस छोडे। १…2…3…4. साँस छोड़ते समय जितना हो सके, पेट सिकोडे। क्रिया [५ 4 तक गिनती करते हुए साँस रोके रखें। जब तक तनाव मुक्त या उर्नींदापन महसूस न करने लगें तब तक ये क्रियाएँ दोहराते रहें |
अब होता क्या है?
जन्म से लेकर इस दुनिया को छोड़ने तक हम साँस लेते और छोड़ते हैं; परतु हमें कोई यह नहीं सिखाता कि साँस कैसे ली जाती है। हम ऊपर-ही-ऊपर सतही तौर पर साँस लेते हैं, कभी भी गहरी साँस नहीं लेते | हमारे शरीर में वक्ष से लेकर धड़ तक हड्डियाँ नहीं होतीं, इस भाग में केवल पसलियाँ झूलती रहती हैं ।
ये पसलियों केवल हवा पर ही बनी रहती हैं। यदि आप सही ढंग से साँस नहीं लेते तो ये मुड़ना शुरू हो जाती हैं। आपने अनेक ऐसे वृद्ध लोग देखे होंगे जो वुद्धावस्था में झुक जाते हैं।इससे बचने के लिए यह व्यायाम करते समय हमें तब तक गहरी साँस लेनी होगी जब तक हम यह महसूस नहीं करते कि साँस नाभि तक पहुँच 2 गिनने तक साँस रोकें। तब धीरे-धीरे मुँह से साँस छोड़ें ।
बारह बार सुबह, बारह बार दोपहर तथा बाहर बार शाम को चह क्रिया दोहराएं इससे आश्चर्यजनक अनुभूति होगी। उदाहरण के लिए, इससे साइनसे, कफ आर जुकाम, स्मरण शक्ति कम होना, सिरदर्द, आधे सिर का दर्द, बदन का दर्द, एलर्जी दमे के दौरे जैसी बीमारियों का इलाज हो सकता है। इस व्यायाम से आप स्वय बदलाव महसूस करेंगे। तो फिर यह व्यायाम अभी क्यों न शुरू किया जाए।
इस बात का ध्यान रखें कि जितनी बार बताया गया है उससे अधिक बार व्यायाम न करें । सही मात्रा में खुराक लेने से आप स्वस्थ रहते हैं, जबकि किसी भी’ दठा आदि की अधिक खुराक आपको नुकसान पहुँचाती है। इसलिए कृपया इस बार मे दिए गए निर्देशों का पालन करें|
टिप्पणी : हृदय रोगी यह व्यायाम न करें।
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