लोकगीत रामायण : डॉ महेश प्रताप नारायण अवस्थी द्वारा मुफ्त हिंदी पीडीऍफ़ पुस्तक | Lokageet Ramayan : by Dr. Mahesh Pratap Narayan Avasthi Free Hindi PDF Book
लोकगीत रामायण : डॉ महेशप्रतापनारायण अवस्थी द्वारा मुफ्त हिंदी पीडीऍफ़ पुस्तक | Lokageet Ramayan : by Dr. Mahesh Pratap Narayan Avasthi Free Hindi PDF Book

लेखक / Writer | डॉ महेश प्रताप नारायण अवस्थी / Dr. Mahesh Pratap Narayan Avasthi |
Lokageet Ramayan Book Language | हिंदी / Hindi |
पुस्तक का साइज़ / Book Size | 4.06 MB |
कुल पृष्ठ / Total Pages | 141 |
श्रेणी / Category | साहित्य / Literature |
श्रवण कुमार सन्दर्भ
माता – पिता के आज्ञापालक सुपुत्र के रूप में श्रवण कुमार का नाम लोक प्रसिद्ध हैं | अपने अंधे माँ – बाप की तीर्थ स्नान कराने के लिए श्रवण कुमार ने काँवर बनवायीं तथा उसी में दोनों ओर उन्हें बैठाकर यात्रा के लिए वे निकल पड़े | अनेक तीर्थों से होते हुए वे अयोध्या के समीप सरयू नदी के किनारे स्थित सरवन पाकर स्थान पर पहुँचे | उस समय वह विशाल वन था , जिसमे वन्य जीव विचरण करते रहते थे
| महाराज दशरथ अपनी युवावस्था में वहाँ प्रायः आखेट के लिए जाया करते थे | वे शब्दवेदी बाण चलाने में प्रवीण थे | दैव वेग से जब श्रवण कुमार अपने पिपासाकुल माता – पिता के लिए सरयू में जल भरने गए तो उस समय दशरथ जी वन में ही थे सांयकाल अंधकार हो चला था ,अतः जब श्रवण कुमार ने पात्र को जल में डुबोया तो उसकी आवाज हुई , तो राजा ने समझा कोई वन्य पशु जल पी रहा है | तो उन्होंने ने उसी आवाज को लक्ष्य कर बाण चला दिया | परिणाम स्वरुप श्रवण कुमार को बाण लगा ,वे छटपटाने लगे तो दशरथ जी उनके पास पहुँचे | और उनका परिचय पूछा |
श्रवण कुमार ने संक्षेप में अपना परिचय दिया और अपने आने का उद्देश्य बताया | उसके उपरांत उनके प्राण – पखेरू उड़ गए , राजा डरते डरते कांवर के पास गए अंधतापासो को जल दिया फिर सारा वृतांत बताया , अन्धो ने जल नहीं पिया और राजा को श्राप दिया जिस प्रकार हम पुत्र के वियोग में प्राण त्याग रहे है उसी प्रकार तुम भी पुत्र वियोग में अपने प्राण का त्याग करोंगे | स्तुत सोहर में इसी घटना का वर्णन है
डॉ महेश प्रताप नारायण अवस्थी
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