हस्त रेखाएं बोलती हैं PDF : महादेव प्रसाद शुक्ल द्वारा मुफ्त हिंदी पीडीऍफ़ पुस्तक | Hast Rekhayan Bolati Hai (Cheiro Palmistry) PDF : by Mahadev Prasad shukl Free Hindi PDF Book

हस्त रेखाएं बोलती हैं PDF | Hast Rekhayan Bolati Hai In Hindi PDF Book Free Download
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पुस्तक का नाम / Name of Book | हस्त रेखाएं बोलती हैं PDF / Hast Rekhayan Bolati Hai PDF |
लेखक / Writer | सुरेश चतुर्वेदी / Suresh Chaturvedi |
पुस्तक की भाषा / Book by Language | हिंदी / Hindi |
पुस्तक का साइज़ / Book by Size | 2 MB |
कुल पृष्ठ / Total Pages | 182 |
पीडीऍफ़ श्रेणी / PDF Category | ज्योतिष / Astrology |
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हस्त रेखाएं बोलती हैं PDF | Hast Rekhayan Bolati Hai PDF in Hindi
हस्त रेखाएं बोलती हैं PDF पुस्तक का एक मशीनी अंश
किसी वात या यस्तु के सम्बन्ध में विश्वास तभी बनता है जब उसे इच्द्रियों द्वारा या अन्तरात्मा द्वारा देख या समझ लिया जाये । कोई आस्तिक हो या नास्तिक, दोनों प्रकार के लोग एक-दूसरे के पूरक होते हैं । मानव-समाज को वास्तविकता या सत्य की मथार्थता को सिद्ध करने के लिए दोनों प्रकार के व्यक्तियों की आवश्यकता होती है ।अपनी इस पुस्तक को जनता के सम्मुख रखते हुए हमें अपने उत्तरदायित्व के साथ-साथ इस बात का पूरा असहास है कि इसके अध्ययन से पाठकों को कितना लाभ होगा, समाज का कितना हित होगा ।
हमने यह पुस्तक किसी घर्ग विशेष के लोगों को ध्यान में रखकर लिखने का प्रयास नही किया बल्कि यह उन सबके लिए है जो मानव-जीवन के नियामक प्रकृति के नियमों को स्वीकार करते हैं और जिनका विशेषकर हाथ के अध्ययन से दिग्दर्शन होता है । किसी वस्तु या विषय को सूद्मम अध्ययन के लिए अयोग्य नही समझना चाहिए। एक अणु अपने अस्तित्व के महत्त्व में पूर्ण होता है।
अतः यदि कोई व्यक्त ऐसी घारणाअनाये कि हंस्त-विज्ञान ध्यान देने योग्य विषय नही है तो यह उसका भ्रममात्र होगा; अयोंकि बहुत-सी बड़ी-बड़ी और अत्यन्त महत्त्वपूर्ण सच्चाइया या वास्तविकताएं, जिनको कभी नगण्य माना जाता था, वे अब असीमित शक्ति का साधन बन गई हैं। ऐसे लोगों से हम यह अनुरोध करेंगे कि हस्त-विज्ञान रूपी अणु का विश्लेषण करके तो देखें । हम उन्हें विश्वास दिलाते हैं कि उनका श्रम व्यर्थ नही जायेगा ।
इस विषय का अध्ययन स्वयं अपनी यथाय्थता को प्रमाणित कर देगा । हस्त-विज्ञान के पक्ष मे हमने आयुर्विज्ञान और विज्ञान से सम्बन्धित अनेको तथ्यों को एकन्रित करने का प्रयास किया है जो हम आगे चलकर पाठकों के सम्मुख प्रस्तुत करेंगे । इन तथ्यों से यह स्पष्ट हो जाएँगा कि हाथ एक विधान के अनुमरण करने वाले हैं और जो प्रभाव उस विधान पर पड़ता है, वही प्रभाव हाथो में दिखाई देता है।
इस विज्ञान से सम्बन्ध रखने वाले जिन ख्याति प्राप्त विद्वानों ने मस्तिष्क और हाथ के सम्बन्धित होने के विपय में जो घारणाएं बनाई हैं और जो विचार व्यक्त’ किए हैं, उनको हमते भी स्वीकार किया ओर जहां भी हमने इस पुस्तक में उनका वर्णन ,किया हैं हमने स्पष्ट कर दिया है कि उन विचारों का जन्मदाता कौन है। इस प्रकार वे सोग जो इस विज्ञान पर विश्वास नहीं करते उनसे हम यही कहेँगे कि हस्त-परीक्षा के विपय के अध्ययन में और उसको विकसित करने में अनेकों शानवात, यूनात के दर्शन शास्त्रियों तथा वर्तमान काल के वैज्ञानिकों ने भी दिलचस्पी ली है ।
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