गोमांतक उपन्यास | Gomantak Novel PDF In Hindi

आप गोमांतक उपन्यास PDF की तलाश में हैं , तो आप सही जगह पर आए हैं। क्योंकि यह वेबसाइट आपको Gomantak Novel In Hindi PDF , Free Download करने का मौका देती है। गोमांतक उपन्यास बुक पीडीएफ़ डाउनलोड लिंक इस लेख के अंतिम भाग में दिया गया है। 

गोमांतक वीर सावरकर उपन्यास – Gomantak Novel Hindi Book PDF Free Download

gomantak-novel

गोमांतक उपन्यास PDF

यह देखो ‘दारका’, तापहारिणी लोक माता ! फेन धवल उसका नीर देखो, कैसी प्रतिपदा के चन्द्रमा की कोर-सी उसकी कांति । हला- हल-पानं से भगवान् शंकर के शरीर का दाह शांत करने में व्यस्त मानो भगवती गंगा ! सम्राट् भगीरथ द्वारा पूर्वजों के पाप-प्रक्षालनार्थ मानो वसुधातल पर लायी गई हो !

इस महत् कार्य में वह सतत व्यग्र पवित्र भागीरथी और जाह्नवी (गंगा) की बहिन ही है यह ‘दारका’ ! फिर वह क्यों कम रहेगी ? गंगा के समान इसकी पुण्याई वेशक बड़ी न हो, किन्तु दीन – प्यासों की प्यास बुझाने का पुण्य तो इसे प्राप्त ही है ! सिंहनी अगर अपने बच्चों को स्तनपान कराती है तो हिरनी भी अपने बच्चों को दूध पिलाती ही है। उसी तरह ‘दारका’ अपने तटों पर प्यासों की प्यास बुझाती हुई जीवन दान देती बह रही है, अपना जीवन धन्य कर रही है।

और यह देखो, दारका के रम्य तट पर एक छोटा-सा ग्राम, मार्गव ! दारका की रमणीयता में इस छोटे से ग्राम ने कैसा रंग ला दिया है ! मोतियों की वेल के सिरे पर फूलों के गुच्छे के समान सुशोभित, यह छोटा-सा गांव कैसा सुन्दर लगता है ! चारों ओर हरे- हरे खेत और बीच में वसा हुआ यह ग्राम समुद्र से घिरे हुए एक छोटे-से द्वीप-सा शोभायमान हो रहा है।

पक्षियों की चहचहाहट के साथ भोर हुई तो रहट चलाने वाले कृष्ण ने वैलों को आवाज़ देकर हाँका और प्रभात की सुगंधित वायु के साथ-साथ उसका स्वर भी आकाश में गूंज उठा । उस रहट से गिरने वाले जलप्रपात के शब्द से आकाश गूंज रहा था। उसकी स्निग्ध गम्भीर ध्वनि सुन मोर पंख फैलाकर नृत्य करने लगे ।

ऐसा था यह निसर्ग सौन्दर्य का वरदान प्राप्त मार्गव ग्राम ! किन्तु जैसे कोई सुन्दर शरीर तपेदिक की बीमारी से दुरावस्था को प्राप्त हो जाये या बिजली के गिरने से जैसे कोई वृक्ष जल जाये, वैसी स्थिति परचक्र के आघातों के कारण इस दुर्दैवग्रस्त ग्राम की भी थी।

उसके टूटे-फूटे परकोटे की दीवारें कहीं कहीं ऊँची खड़ी दिखाई दे रहीं थीं। निकट ही जीर्णावस्था में एक शिवमंदिर प्रव भी था। गाँव के लोगों का यह एकमात्र श्रद्धास्थान था। ओर थीं चम्पा के फूलों की झाड़ियां देवियाँ उधर परिक्रमा करतीं, तो मालायें गंधते । पास ही एक मठ दिखाई दे रहा था।

जैसा तैसा खड़ा मंदिर के चारों देव दर्शन के इधर उनके बच्चे लिए आयी हुई चम्पा – पुप्पों की उस मठ के सारा गाँव प्रांगन में था पारिजात वृक्ष, पुष्पों के भार से झुका हुआ उस वृक्ष के अभिमान से श्रोत-प्रोत था। इसके पीछे वह दंत कथा काम करती थी, जो वहाँ का बच्चा बच्चा बड़े गर्व से बताया करता । स्वयं श्रीकृष्ण ने यह कथा देवपि नारदजी से कही थी।

कथा थी- श्रीकृष्ण स्वर्ग से पारिजात वृक्ष लाये और सत्यभामा के आँगन में उसको रोपना चाहा, तो रुक्मिणी को ईर्ष्या हुई। उन्होंने इसे रुक्मिणी के आंगन में रोपना चाहा तो सत्यभामा को सहन न हुआ। इसलिए भगवान् ने इस ईर्ष्या को समाप्त करने के लिए वह पारिजात वृक्ष निश्रेष्ठ भृगु को अर्पण कर दिया। मुनिवर ने वह वृक्ष अपने में लगाया। “वह महर्षि भृगु का आश्रम ही तो यह मठ है और उनका लगाया हुआ वह वृक्ष यही पारिजात है ।”

गाँव के मध्य भाग में एक छोटा-सा बाजार था, जिसमें पांच-सात दुकानें थीं। दुकानों की दीवारें चूने से रंगी थीं और गेरुए रंग से उन पर नक्काशी की गई थी। गांव के रंगीले जवान शाम को इधर ही आकर टहलते थे। खेतों में जाने वाली स्त्रियाँ प्रातः दुकानों में अपनी तेल की बोतलें रख जातीं और शाम को लौटते समय तेल ले आतीं।

देश के लिए कौड़ियों का प्रयोग होता था पर गंभी चीजों की दला-बदली हुआ करती थी। बनिया ‘मूल’ से कभी दुगुने दाम वसूल कर लिया करता था। वहीं एक मोटे पेट वाले सेठ की दुकान थी। उसकी दुकान बाकी दुकानों से कुछ ही बड़ी थी.

लेखक / Writerविनायक दामोदर सावरकर / Vinayak Damodar Savarkar
भाषा / Languageहिन्दी / Hindi
कुल पृष्ठ / Total Pages141
PDF साइज़4.8 MB
श्रेणी / Categoryउपन्यास / Novel
Source / Creditarchive.org

नीचे दिए गए डाउनलोड बटन पर क्लिक करके आप गोमांतक उपन्यास / Gomantak Novel PDF In Hindi में डाउनलोड कर सकते हैं।

गोमांतक वीर सावरकर उपन्यास – Gomantak Novel Hindi Book PDF Free Download

Similar Posts

Leave a Reply