गीता में भक्तियोग PDF: अज्ञात द्वारा मुफ्त हिंदी पीडीऍफ़ पुस्तक | Geeta Mein Bhaktiyoga PDF : by Unknown Free Hindi PDF Book
गीता में भक्तियोग | Geeta Mein Bhaktiyoga Hindi PDF Free Download

लेखक / Writer | अज्ञात / Unknown |
पुस्तक का नाम / Name of Book | गीता में भक्तियोग PDF | Geeta Mein Bhaktiyoga PDF |
पुस्तक की भाषा / Geeta Mein Bhaktiyoga Book of Language | हिंदी / Hindi |
पुस्तक का साइज़ / Book Size | 2 MB |
कुल पृष्ठ / Total Pages | 126 |
श्रेणी / Category | धार्मिक / Religious , हिंदू / Hinduism |
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गीता में भक्तियोग पुस्तक का एक मशीनी अंश
गीता के बारहवें श्रश्यायका नाम सक्तियोग है, इसमें कुछ चीस छोक हैं। पहिले छोकर्मे सक्ततर श्रजु नका अन्न ए और शेष उन्नीस श्छोकमिं भगवान् उसका उत्तर देते हैं । इनमें भथम १५ छोफर्मे तो भगवानके व्यक्त (साकार) और अव्यक्त (निश॒कार) स्वरूपके उपासकॉकी उत्तमताका निर्यय किया यया है एवं भगवत-प्राप्तिके कुछ उपाय घतलायें गये हें। अगले आड़ शोकों में परसात्माके परम पिय भक्तोंके साभाविक लक्षणोंका वर्णन | |
भगवानूने कृपापूर्वक अजुन को दिव्य उच्च प्रदानकर अपना घिराद स्वरूप दिसलाया, उस विफराल कालस्वरूपको देखकर अरज़ुनके घघराकर प्रार्थना फरनेपर अपने चतुर्संज रूपके दर्शन कराये, त्दनन्तर मनुष्य-देह-घारी सौम्य रसिकशेखर श्यामसुन्दर श्रीकृष्णपरूप दिखाकर उनके चित्तमें पादुर्भूत हुए भय घोर अशान्तिका नाश फर उन्हें सुखी किया ।
इस प्रसंयर्मे सम्रवानने अपने विराद और चउत्तुभुंज-स्वरूपकी महिसा गाते हुए इनके दर्शन प्राप्त करनेवाले अर्जनके प्ेमकी प्रशंसा की और कट्टा कि “मेरे इन स्वरूपोको प्रत्यक्ष नेन्नोंह्दरा देखना, इनके तस्वको समसना और दनमें प्रवेश करना फेवल्ल ‘अनन्यभक्ति! से डी सरमभव है?! इसके थाद अनन्यभक्तिका स्वरूप श्रौर उसका फल अपनी प्राप्ति धतल्वाकर भगवानने अपना वक्तब्य समाप्त किया
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