एकादशी व्रत का महात्म्य और कथा | Ekadashi Vrat Ka Mahatmya PDF
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एकादशी महात्म्य और कथा – Ekadashi Vrat Ka Mahatmya PDF Free Download

एकादशी महात्म्य और कथा
एकादशी के जया आदि भेद, नक्तव्रत का स्वरूप, उत्पन्ना एकादशी के प्रसंग में एकादशी की विधि, उत्पत्ति-कथा और महिमा का वर्णन नाजी ने पूछा- महादेव महाद्वादशी एकादशी) का उत्तम व्रत कैसा होता है सर्वेश्वर प्रभो। उसके व्रत से जो कुछ भी फल प्राप्त होता है, उसे बनाने की कृपा कीजिये।
महाब्रह्मन् यह एकादशी महान पुण्य फल को देने वाली है। श्रेष्ठ नियो को भी इसका अनुष्ठान करना चाहिये। विशेष विशेष नक्षत्र का योग होने पर यह तिथि जया, विजया, पाप मुक्त हो जाता है। |जयन्ती तथा पापनाशिनी नारनामों होती है। ये सभी पापों का नाश करनेवाली है इनका व्रत अवश्य करना चाहिये जब शुक्ल पक्ष को एकादशी को पुत्र हो तो उत्तम तिथि ‘जया’ कहलाती है।
उसका मनुष्य नही शुपक्ष को द्वादशी को अवण नक्षत्र हो तो यह उत्तम तिथि ‘विजय’ के नाम से विख्यात होती है। इसमें किया हुआ दान और ब्राह्मण भोजन सहख गुना फल देने वाला है होम और उपवास तो स से भी अधिक फल देता है। जब शुपक्ष को द्वादशी को ‘होम तिथि जयती कहलाती है
यह सब पापो को हरने वाली है उस तिथि को जित होने भगवान् दिन क्षम ही मनुष्य के सब पापका डालने है कभी शुद्वादशी को पुत्र हो तो र महापुण्यमधी ‘पापनाशिनी’ तिथि कहलाती है जो एक वर्षक प्रतिदिन एक प्रस्थ तिल दान करता है तथा जो केवल पापनाशिनी’ एकादशी को उपवास करता है, उन दोनों का पुण्य समान होता है।
उस तिथि को पूजित होने पर संसार के स्वामी सर्वेश्वर श्रीहरि सन्तुष्ट होते हैं तथा प्रत्यक्ष दर्शन भी देते हैं उस दिन प्रत्येक पुण्य कर्म का अनन्त फल माना गया है। सनन्दन तथा राजा गाधिने उस तिथिको भगवान्की आराधना की थी, जिससे भगवान् ने इस पृथ्वी पर उन्हें सब कुछ दिया था।
इस निथि के सेवन से मनुष्य सात जन्मों के कायिक, वाचिक और मानसिक पाप मुक्त हो जाता है। इसमें तनिक भी संदेह नहीं है। पुष्य नक्षत्रसे युक्त एकमात्र पापनाशिनी एकादशी का व्रत करके मनुष्य एक हजार एकादशियों के व्रत का फल प्राप्त कर लेता है।
लेखक | Gita Press |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 172 |
Pdf साइज़ | 7.1 MB |
Category | धार्मिक/Religious |
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एकादशी महात्म्य और कथा – Ekadashi Vrat Ka Mahatmya PDF Free Download
FAQ.
एकादशी व्रत कितने करने चाहिए?
माह में 2 एकादशियां होती हैं अर्थात आपको माह में 2 बार और वर्ष के 365 दिनों में मात्र 24 बार ही नियमपूर्वक एकादशी व्रत रखना है।
एकादशी व्रत में क्या खाना चाहिए?
एकादशी व्रत में शकरकंद, कुट्टू, आलू, साबूदाना, नारियल, काली मिर्च, सेंधा नमक, दूध, बादाम, अदरक, चीनी आदि पदार्थ
एकादशी व्रत करने के क्या फायदे हैं?
एकादशी का व्रत करने से लोग पापों से मुक्ति होकर भवसागर से तर जाते हैं.