चर्म रोग चिकित्सा | Charma Rog Chikitsa PDF in Hindi
चर्म रोग चिकित्सा | Charma Rog Chikitsa Book PDF in Hindi Free Download

लेखक / Writer | डॉ. डिम्पल शाह / Dr. Dimpal Shah |
पुस्तक का नाम / Name of Book | चर्म रोग चिकित्सा / Charma Rog Chikitsa |
पुस्तक की भाषा / Book of Language | हिंदी / Hindi |
पुस्तक का साइज़ / Book Size | 6.67 MB |
कुल पृष्ठ / Total Pages | 150 |
श्रेणी / Category | स्वास्थ्य / Health |
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Charma Rog Chikitsa PDF Download
चर्म रोग चिकित्सा पुस्तक का एक मशीनी अंश
आदमी का चर्म (चमड़ी, ) उसके शरीर का बाहरी आवरण है, वह शरीर के प्राकृतिक छेदो-मुहठ, नाक, मूत्र-जननेंद्रिय और गुदा के पास पहुंचकर श्लेषमल झिल्ली के साथ मिल जाता है। वयस्को मे चर्म की सतह .5 से श॥१ तक होती है, जबकि मोटाई (अधोचार्म वसा को छोड़कर मिलीमीटर के कुछ अशो से लेकर (पलक और बाह्य श्रवण-मार्ग पर) 4णाए तक (हथेलियो और तलवो पर) होती है।
अधोचार्म वसा की भी मोटाई जगह-जगह पर काफी भिन्न होती है। कुछ जगहों पर वह होती ही नही है और कुछ जगहों पर (जैसे मोटे आदमी के पेट और नितबो पर) उसकी मोटाई कई सेंटीमीटर तक पहुँच सकती है। वयस्क मे अकेले चर्म का द्रव्यमान पूरे शरीर के द्रव्यमान का लगभग 5 प्रतिशत अश होता है,
जबकि अधोचार्म वसा के साथ करीब 6 से ॥7 7 प्रतिशत होता है। चर्म की सतह (त्वचा) पर अनेक खाचे (ख़ात, खातिकाएं), सलवटें और अवनमन (गड़ढे) पाये जाते है, वह तीकोण और रोबवत क्षेत्रो के एक जटिल क्रम (चटाई) के रूप में दिखती है। चेहरे की झुर्रिया, हथेली, तलवे और फोते (अडकोष) की सल्लनवर्टे चर्म पर स्थूल खातिकाएं हैं।
हथेली और तलबे पर एक-दूसरे के समानातर चलने वाली मेड़े और खातिकाए तरह-तरह की आकृतिया बनाती हैं इनका नमूना हर आदमी क लिय अपना व्यक्तिगत होता ह जा आटमा को पहचानने क॑ लिये एक विश्वस्त चिह्न ” रगल्ा की छाय के अध्ययन ग्गल्ा दर्शन या डाक्टिनोस्कोपी मे इसी का उपयोग होता है ।)
त्वचा की ऊपरी झलक चटाई की वुनावट जैसी होती है। उसका अपना विशिष्ट रग होता है, जो उसे बनाने वाले ऊतकों के रग, शगी एव कणमय परतला की मोटाई, चर्म के भीतर दिखन वाली रक््त-कुमियों आर मेलानिन नामक वर्णक की उपस्थिति पर निर्भर करता है। त्यचा का रग बदल भी सकता है, क्योकि चर्म मे उपस्थित वर्णक की मात्रा वाह्मय और आतर घटकों के प्रभाव से वढती-धघटती रहती है ।