अभिज्ञान शकुन्तला नाटक PDF : कालिदास द्वारा मुफ्त हिंदी पीडीऍफ़ पुस्तक | Abhigyan Shakuntala Natak PDF : by Kalidas Free Hindi PDF Book

अभिज्ञान शकुन्तला नाटक PDF | Abhigyan Shakuntala Natak PDF In Hindi Book Free Download
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पुस्तक का नाम / Name of Book | अभिज्ञान शकुन्तला नाटक PDF / Abhigyan Shakuntala Natak PDF |
लेखक / Writer | कालिदास / Kalidas |
पुस्तक की भाषा / Book by Language | हिंदी / Hindi |
पुस्तक का साइज़ / Book by Size | 18.01 MB |
कुल पृष्ठ / Total Pages | 262 |
पीडीऍफ़ श्रेणी / PDF Category | नाटक/ Drama , साहित्य / Literature |
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अभिज्ञान शकुन्तला नाटक PDF | Abhigyan Shakuntala Natak PDF in Hindi
अभिज्ञान शकुन्तला नाटक PDF पुस्तक का एक मशीनी अंश
ब प्रभु दुष्यंत तुम्हारी रक्षाकरें । तिन देहियों से बहुबंन म- हाभ्ृत पंचरूप होने से यज्ञकरणसे होतरूपसे लोकपांलाश से विशेश्तेज से चंद्र सूयरूप से आउतनु से प्रपन्न युक्र । भृग ने कहा है । अग्नि वायु यम सूर्य इन्द्र वरुए चंद्र ओर कुबेर इनके अश होने से देवताओं के तेजको प्राप्तह आ इसी से सब प्राणियों को सतेज़ से तिरस्कार करता है ॥
यह राजा अब जो सृष्टिकर्ता की पहिली है इससे शकुंतला सूचितकी क्योंकि इतने कालतक इस सृष्टिके न होने से पहिली कही । जो विधिसे भोग विलासादि से हुत निषिक्न की गई सींब्रीगई । ही जो रेत बीरये तिस को धारणकरे सो तिसका गभ। होन्री इसकरके करव लिया। जो दो इससे अनसूया प्रियंबदा सखी दोनोकाल शापके अंतको (वि- धत्त)बोध कराती थी।
पतित्रताआदि गुणों से संसारको ब्याप के स्थित श्रति वार्ता से देश में गुण नाम तीनकरके शारईर शार- द्वत गौतमी इनसे ले जायीजाय ऐसी स्थित । [श्वतिविषयगुणा] एकपद है इससे गरभसहित विस शकुंतला को राजा दुष्यंत के द्वार जाना सूचित किया सबका बीजमूलभूत च॑कव तिल होने से भरत । तिसकी प्रकृति उत्पत्ति भरतकी उत्पत्ति। जिस से प्रार्णी प्राणवाले हैं भरत शकुंतला के साथ स्रपुर में आगमन सूचित किया इसीतरह वह दुष्येत आठ तनुसे रक्षाकरे ॥
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